दिव्यता जागरण कार्यशाला
Divine Workshop

मनुष्य ने हर क्षेत्र में प्रगति की है। फिर भी सुख, सन्तोष, शान्ति, प्रसन्नता का जीवन में अभाव है। इस सबका कारण है, आत्म विस्मृति। इन दिनों मानव जाति आत्म विस्मृति के संकट से गुजर रही है। प्रत्यक्षवाद ने आदर्शों पर से आस्थाएँ बुरी तरह डगमगा दी हैं। जैसे भी बने, स्वार्थसाधन ही प्रमुख दृष्टिïकोण रह गया है। हर ओर भौतिकवाद का ही बोलबाला है। मनुष्य अपने आपको मन समेत इन्द्रियों का ही समुच्चय, शरीर मानता है। इसलिए उसकी जो कुछ इच्छा, अभिलाषा, आकांक्षा, चेष्टïा होती है, वह शरीर की परिधि तक ही सीमित होकर रह जाती है। सभी क्रियाकलाप उसी में सीमाबद्ध होकर रह गये। फिर भले ही इसके लिए अपनी आत्मा या मनुष्यता की गरिमा को ही दाँव पर क्यों न लगाना पड़े। फलत: मनुष्य मनुष्यता खो देने के मार्ग पर चल पड़ा है।
आत्मा भी कोई चीज है, इसके विषय में कुछ सोचा, किया नहीं जा रहा, परिणामत: व्यक्ति, परिवार, समाज के अस्तित्व पर ही संकट आ खड़ा है। सब कुछ रहते हुए उसे आन्तरिक प्रसन्नता, आत्मिक संतुष्टि का अनुभव नहीं होता। मन में, हृदय में एक प्रकार की रिक्तता अनुभव होती रहती है। मानसिक अशान्ति बनी रहती है। आन्तरिक तड़पन 'कुछ तो अभाव है का एहसास निरंतर सताता रहता है। सभ्यता शरीर को और सुसंस्कारिता मन को प्रभावित करती तथा परिष्कृत बनाती है। यह पक्ष जब तक उपेक्षित रहेगा, तब तक आन्तरिक उल्लास का अनुभव नहीं किया जा सकता।
भौतिक उपलब्धियों की प्रतिस्पर्धा की इस दौड़ में आज का युवा जीवन के वास्तविक आनन्द, उद्देश्य, अपनी मौलिकता और अपनी वास्तविक पहचान से दूर होता जा रहा है। परिणामत: वह जिस रिक्तता का अनुभव करता है, उसे पूर्ण करने की चाह में दिखावेबाजी, क्लब, सिनेमा, नशों आदि की ओर प्रवृत्त हो रहा है, मार्गभ्रमित हो रहा है। परंतु वहाँ भी उसे आन्तरिक संतुष्टि नहीं मिलती। उसकी तलाश पूरी नहीं होती। कुछ समय बाद जब उसे होश आता है, तो वह स्वयं को लुटा हुआ महसूस करता है और अवसादग्रस्त हो जाता है, टूट जाता है।
एकांगी विकास का ही यह परिणाम है। वस्तुत: भौतिक और आध्यात्मिक, शरीर और आत्मा दोनों की ही आवश्यकताओं का ध्यान रखने से जीवन में पूर्णता आती है। आत्म संतुष्टि का अनुभव होता है।
युवा जीवन की इस रिक्तता की पूर्ति कैसे हो, युवा जीवन के इस तनाव से कैसे बाहर निकलें, इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए गायत्री परिवार द्वारा दिव्यता जागरण कार्यशालाओं (Divine Workshops) का आयोजन किया जाता है।
इसके अंतर्गत मानव जीवन की गरिमा,  Stress Management, Time Management, Life Management, Personality Refinement, Scientific Spirituality, Corporate Excellence, Art of Living, Holistic Health Management आदि विषयों पर स्कूल, कॉलेज, कॉर्पोरेट सेक्टर में कार्यशालाएँ सम्पन्न की जाती हैं। यह कार्यशाला समय, परिस्थिति, आवश्यकतानुसार दो घण्टे अथवा चार घण्टे तक की हो सकती है।
कार्यशाला का स्वरुप -
  • Divine Music- प्रज्ञा  धुन  आधुनिक वाद्य यन्त्र पर बजाना
  • Divine Song    - प्रज्ञा गीतों का नए अंदाज में गायन
  • Divine Play  - सामयिक समस्याओं पर आधारित लघु नाटिकाओं का मंचन        
  • Divine Show  - प्रेरक / रचनात्मक कार्यक्र मों का वीडियो दिखाना
  • Divine Message  -  प्रेरक उद्बोधन / वीडियो सन्देश    
  • Divine Oath- अंग्रेजी में सत्संकल्प एवं व्यसन मुक्ति संकल्प कराना
  • Divine Connect- संगठन मंडल हेतु प्रेरणा एवं संपर्क बताना\


Contact - 9258360785,9258360962

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